बुढ़ापे पर आमदनी का जरिया बढ़ती उम्र के साथ अक्सर इनकम सोर्स कम हो जाते हैं, जबकि वहीं सेहत से जुड़ी और तमाम समस्‍याएं बढ़ जाती हैं. ऐसे में रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेगुलर इनकम बहुत जरूरी है. लेकिन तमाम लोगों के पास न तो पेंशन होती है, न ही कोई दूसरा सोर्स और न ही उनके बच्‍चे आर्थिक रूप से इतने संपन्‍न होते हैं कि उनके तमाम खर्चों का वहन कर सकें. ऐसे में आपके लिए “Reverse Mortgage Scheme” काफी काम की साबित हो सकती है. लेकिन इसके लिए आपके पास आपका खुद का मकान होना बहुत जरूरी है. इस स्‍कीम के जरिए वरिष्‍ठ नागरिक रेगुलर इनकम का इंतजाम बहुत आसानी से कर सकते हैं. जानिए क्‍या है ये स्‍कीम. रिवर्स मॉर्गेज स्कीम पारंपरिक होम लोन के बिल्कुल उल्‍टा काम करती है. होम लोन में आप बैंक से पैसा लेकर घर खरीदते हैं और हर महीने EMI चुकाते हैं. वहीं, रिवर्स मॉर्गेज में आप अपनी मालिकाना हक वाली प्रॉपर्टी को किसी बैंक या वित्तीय संस्थान के पास गिरवी रखते हैं, और बदले में बैंक आपको एक निश्चित अवधि तक नियमित रूप से एक तयशुदा रकम का भुगतान करता है. ये भुगतान मासिक, तिमाही, वार्षिक या एकमुश्त भी हो सकता है. इस तरह आपका घर आपके लिए आमदनी का जरिया बन जाता है. जब कोई वरिष्ठ नागरिक इस योजना के तहत आवेदन करता है, तो बैंक उसकी प्रॉपर्टी का मूल्यांकन करता है. प्रॉपर्टी की कीमत, आवेदक की उम्र और मौजूदा ब्याज दरों के आधार पर लोन की कुल राशि तय की जाती है.[ आमतौर पर ये लोन 10 से 20 वर्षों की अवधि के लिए होता है. इस पूरी अवधि के दौरान, उधारकर्ता की मृत्यु के बाद बैंक के पास संपत्ति को बेचने का अधिकार होता है. बिक्री से प्राप्त राशि से बैंक अपनी लोन की रकम (ब्याज सहित) वसूलता है और बची हुई अतिरिक्त राशि कानूनी उत्तराधिकारियों को लौटा दी जाती है ये योजना सेवानिवृत्ति के बाद एक स्थिर आमदनी की व्‍यवस्‍था करती है, जिससे वरिष्ठ नागरिक अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं.सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको अपना घर खाली नहीं करना पड़ता. आप उसी घर में रहकर आमदनी का इंतजाम कर सकते हैं.उधारकर्ता को अपने जीवनकाल में लोन की कोई भी राशि चुकानी नहीं होती है.रिवर्स मॉर्गेज के तहत मिलने वाली राशि को आय नहीं माना जाता, इसलिए इस पर इनकम टैक्स नहीं लगता है.