
रांची : झारखंड विधानसभा का संक्षिप्त मानसून सत्र अब सियासी तकरार का केंद्र बनता जा रहा है। सत्र की अवधि कम रखने को लेकर भाजपा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार चर्चा और जवाबदेही से भाग रही है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि झामुमो-कांग्रेस की नेतृत्व वाली सरकार जनता से किये वादे पूरे करने में विफल है. ऐसे में वह जन सरोकार के मुद्दे पर सदन में जवाब देने से बचना चाहती है. यही वजह है कि इस बार मानसून सत्र छोटा रखा गया है. प्रदेश प्रवक्ता रामकांत महतो ने कहा कि छोटे सत्र में भी बीजेपी की पूरी कोशिश रहेगी कि वह सभी जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाए, जिसे पूरा करने में वर्तमान महागठबंधन की सरकार नाकाम रही है.इस पर सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने कड़ा पलटवार करते हुए भाजपा को “जनता से कटे हुए दल” की संज्ञा दी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि पिछले बजट सत्र को देखिए, लंबा सत्र होने के बावजूद विपक्ष ने सत्र के दौरान क्या किया? यह सब झारखंड की जनता जानती है. झामुमो प्रवक्ता ने आगे कहा कि विपक्ष, हेमंत ‘फोबिया’ छोड़कर सकारात्मक सोच के साथ सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले तो छोटा सत्र भी राज्य के लिए उपयोगी होगी. मनोज पांडेय ने आखिरी में कहा कि सरकार अपने जरूरतों के हिसाब से सत्र आहूत करती है लेकिन आज जो लोग मानसून सत्र के छोटा होने पर सवाल उठा रहे हैं. उन्हें रघुवर दास की सरकार के समय को याद कर लेना चाहिए. झामुमो के प्रवक्ता ने कहा, “भाजपा मुद्दों पर बात करने की बजाय सिर्फ राजनीतिक नौटंकी कर रही है। उन्हें जनता से जुड़े सवालों से कोई लेना-देना नहीं।” वहीं कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने ने कहा कि भाजपा को राज्य की बेहतरी में कोई दिलचस्पी नहीं है, वे सिर्फ विधानसभा सत्र को हंगामेदार बनाना चाहती है। धनबाद में चूहे द्वारा शराब पीने का मामला उठेगा तो रघुवर दास की सरकार में नहर खा जाने वाले चूहे पर क्या कार्रवाई की? यह भी पूछा जाएगा. गौरतलब है कि मानसून सत्र की अवधि केवल दो दिन निर्धारित की गई है, जो 1 से 7 अगस्त को होगा। ऐसे में सत्र के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस की संभावना है। सत्र से पहले ही जो राजनीतिक माहौल बना है, उससे साफ है कि सदन के भीतर गरमा-गर्मी तय है।