
डेस्क : जम्मू-कश्मीर का अनंतनाग जिला न सिर्फ अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह अपनी नैसर्गिक खूबसूरती और बहते झरनों के लिए भी प्रसिद्ध है। श्रीनगर से करीब 53 किलोमीटर दक्षिण में स्थित अनंतनाग को कश्मीर घाटी के सबसे पुराने बसे इलाकों में से एक माना जाता है। इसका नाम संस्कृत के दो शब्दों — अनंत (असीम) और नाग (जलस्रोत/झरना) — से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “अनंत झरनों की भूमि”।
इस क्षेत्र को “झरनों का शहर” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ अनेक जलस्रोत प्राकृतिक रूप से बहते रहते हैं, जो पूरे साल ठंडे और स्वच्छ जल से लोगों को लाभान्वित करते हैं। अनंतनाग की जलवायु, हरे-भरे बाग-बगिचे, और आस-पास फैले बर्फ से ढके पहाड़ पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं। खासकर गर्मियों में यह इलाका प्रकृति प्रेमियों और सैर-सपाटे के शौकीनों के लिए स्वर्ग समान हो जाता है।
इतिहास की बात करें तो अनंतनाग प्राचीन काल से ही कश्मीर की संस्कृति, व्यापार और प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहाँ कई पुरातात्विक स्थल और धार्मिक स्थान हैं, जैसे — मार्तंड सूर्य मंदिर, अचबल गार्डन, और वेरिनाग, जो इसकी गौरवशाली विरासत को दर्शाते हैं।
आज भी अनंतनाग अपनी शांति, संस्कृति और सौंदर्य के लिए पहचाना जाता है। सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों से इस जिले की पहचान न केवल देशभर में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है। अनंतनाग वाकई में वह स्थान है जहाँ प्रकृति, इतिहास और आध्यात्म एक साथ सांस लेते हैं।